Agniveer
हिन्दू धर्म-ग्रन्थो पैगम्बर मुहम्मद के आने की पूर्वृ-सूचना एवम् निशानियाँ और अग्निवीर की गलतफहमियाँ
मुहम्मद अल्लाह के आखरी रसूल है और पैगम्बर मुहम्मद की निशानियाँ और उनके आने की सूचना हिन्दू धर्म-ग्रन्थो में मौजूद है ताकि हिन्दू लोग आखरी नबी को पहचान ले और उन पर ईमान ले आये। लेकिन जैसा के हम जानते है कि कुछ लोग जो अपने आप को धर्म का ठेकेदार समझते है और धर्म की आड़ में अपना धन्धा चलाते हैं वो हर उस सत्य को छुपाते है जिससे उनके धन्धे पर आँच आये।
अग्निवीर ने भी सत्य को छुपाने या कम से कम लोगों इस बारे में भर्मित करने की ऐसी ही असफल कोशिस की।
अग्निवीर ने जो लेख सत्य को छुपाने के लिए लिखा वो बहुत ही हास्यपद और इस्लाम और पैगम्बर मुहम्मद के बारे में गलतफहनियोँ से भरा हुआ है। अग्निवीर की मूर्खता के कुछ उदाहरण देखिये।।।
{{{अरबी बिस्मिल्लाह यानी “बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम” को हिंदी में बदलने पर “दयानंद की जय” ऐसा मतलब निकलता है! इसका मतलब यह हुआ कि कुरान दयानंद की तारीफ़ से ही शुरू होती है! }}}
{{{ जहर = मौत = पूरा आराम = अमन चैन (शांति या peace ) = इस्लाम (जाकिर साहब खुद ही कहते हैं की इस्लाम का मतलब peace होता है, अपने कार्यक्रम का नाम भी Peace कान्फरेन्स रखा है) इसलिए, जहर = इस्लाम}}}}
अग्निवीर ने अपने लेख में असल बात से हटकर इधर उधर की बेमतलब की बातें ज्यादा की हैं और उसके दिमाग में इस्लाम और मुहम्मद के बारे में तरह तरह गलत गलतफहमियाँ हैं जो जगह जगह उसके लेख मे नज़र आती है।
इस बारे में कुछ लोग भोले भाले हिन्दुओं को सीधे रास्ते पर आने से रोकने के लिए तरह तरह की गलतफहमियाँ फैला रहे हैं। उनके दवा्रा फैलाई जा रही गलतफहमियोँ के जवाब नीचे दिए जा रहे हैं
मुहम्मद सल्ल0 और वेद
अल्लाह अत्यंत कृपाशील और दयावान है।अल्लाह के सभी उदार अनुग्रहों और उसकी अनुकंपाओं की गणना करनी कठिन है, जो उसने इनसानों पर की है। उसकी इनसानों पर विशेष कृपा यह रही कि उनके मार्गदर्शक का प्रबंध किया और उन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए अपने पैग़म्बरों, रसूलों और अवतारों को प्रत्येक क़ौम और समुदाय में भेजा। क़ुरआन में हैः ‘‘कोई क़ौम ऐसी नहीं गुजरी, जिसमें कोई सचेत करने वाला न आया हो।’’ (35: 24) और हर क़ौम के लिए एक मार्गदर्शक हुआ है (13:7)
‘‘अवतार’’ का अर्थ यह कदापि सही नहीं है कि ईश्वर स्वयं धरती पर सशरीर आता है, बल्कि सच्चाई यह है कि वह अपने पैग़म्बर और अवतार भेजता है। उसने इनसानों के उद्धार, कल्याण और मार्गदर्शन के लिए अपने अवतार पैग़म्बर और रसूल भेजे। यह सिलसिला हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर समाप्त कर दिया गया। स्वामी विवेकानन्द और गुरुनानक सरीखे महानुभावों ने भी पैग़म्बरी और ईशदूतत्व की धारणा का समर्थन किया है। वरिष्ठ विद्वानों में पं. सुन्दर लाल, श्री बलराम सिंह परिहार, डा. वेद प्रकाश उपाध्याय, डा. पी.एच. चैबे, डा. रमेश प्रसाद गर्ग, पं. दुर्गा शंकर सत्यार्थी आदि ने ‘‘अवतार’’ का अर्थ ईश्वर द्वारा मानव-कल्याण के लिए अपने पैग़म्बर और दूत भेजा जाना बताया है। प्राणनाथी सम्प्रदाय के प्रसिद्ध चिंतक श्री कश्मीरी लाल भगत ने भी इस तथ्य का स्पष्ट समर्थन किया है।
पैग़म्बरों और अवतारों के भेजे जाने का विशिष्ट औचित्य होता है। लोगों में अधर्म की प्रवृत्ति पैदा हो जाने, धर्म के वास्तविक स्वरूप से हट जाने और मूल धर्म में मिलावट हो जाने के कारण पैग़म्बर एवं अवतार भेजे गए, जिन्होंने धर्म को फिर से मौलिक रूप में पेश किया और एक ईश्वर की ओर लोगों को बुलाया।
वेदों में नराशंस या मुहम्मद के आने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, बल्कि धार्मिक ग्रन्थों में ईशदूतों (पैग़म्बरों) के आगमन की पूर्व सूचना मिलती रही है। कुरान 3:81 के मुताबिक हर नबी और रसूल की यह जिम्मेदारी होती है कि वो अपने बाद आने वाले पैग़म्बर की निशानियाँ बताये ताकि लोग उसे पहचान सके। मिसाल के तौर कुरान में है कि हजरत ईसा ने अपने मानने वालों से कहा कुरान 61:6 (और याद करो जबकि मरयम के बेटे ईसा ने कहा, "ऐ इसराईल की संतान! मैं तुम्हारी ओर भेजा हुआ अल्लाह का रसूल हूँ। मैं तौरात की (उस भविष्यवाणी की) पुष्टि करता हूँ जो मुझसे पहले से विद्यमान है और एक रसूल की शुभ सूचना देता हूँ जो मेरे बाद आएगा, उसका नाम अहमद होगा।")
वेदों मे मुहम्मद सल्ल0 का वर्णन और भविषयवाणियां होना कोई अनोखी बात नही है है क्योंकि कुरान में लिखा है सुरह आराफ 7 आयत 157 में जो उस रसूल, उम्मी नबी का अनुसरण करते है, जिसे वे अपनी किताबों में लिखा पाते है। और जो उन्हें भलाई का हुक्म देता और बुराई से रोकता है। उनके लिए अच्छी-स्वच्छ चीज़ों का हलाल और बुरी-अस्वच्छ चीज़ों का हराम ठहराता है और उनपर से उनके वह बोझ उतारता है, जो अब तक उनपर लदे हुए थे और उन बन्धनों को खोलता है, जिनमें वे जकड़े हुए थे। अतः जो लोग उसपर ईमान लाए, उसका सम्मान किया और उसकी सहायता की और उस प्रकाश के अनुगत हुए, जो उसके साथ अवतरित हुआ है, वही सफलता प्राप्त करनेवाले है।
इस बारे में कुछ किताबें जो हकपसन्द हिन्दू विद्वानो ने लिखी है वो नीचे दी जा रही है।जो आनलाइन पढ़ी जा सकती है।
http://antimrishi.blogspot.in/p/blog-page_12.html
अगर आप के मन मे कोई सवाल हो तो यहाँ ईमेल करे asifmalik2015@gmail.com
मुहम्मद अल्लाह के आखरी रसूल है और पैगम्बर मुहम्मद की निशानियाँ और उनके आने की सूचना हिन्दू धर्म-ग्रन्थो में मौजूद है ताकि हिन्दू लोग आखरी नबी को पहचान ले और उन पर ईमान ले आये। लेकिन जैसा के हम जानते है कि कुछ लोग जो अपने आप को धर्म का ठेकेदार समझते है और धर्म की आड़ में अपना धन्धा चलाते हैं वो हर उस सत्य को छुपाते है जिससे उनके धन्धे पर आँच आये।
अग्निवीर ने भी सत्य को छुपाने या कम से कम लोगों इस बारे में भर्मित करने की ऐसी ही असफल कोशिस की।
अग्निवीर ने जो लेख सत्य को छुपाने के लिए लिखा वो बहुत ही हास्यपद और इस्लाम और पैगम्बर मुहम्मद के बारे में गलतफहनियोँ से भरा हुआ है। अग्निवीर की मूर्खता के कुछ उदाहरण देखिये।।।
{{{अरबी बिस्मिल्लाह यानी “बिस्मिल्ला हिर्रहमानिर्रहीम” को हिंदी में बदलने पर “दयानंद की जय” ऐसा मतलब निकलता है! इसका मतलब यह हुआ कि कुरान दयानंद की तारीफ़ से ही शुरू होती है! }}}
{{{ जहर = मौत = पूरा आराम = अमन चैन (शांति या peace ) = इस्लाम (जाकिर साहब खुद ही कहते हैं की इस्लाम का मतलब peace होता है, अपने कार्यक्रम का नाम भी Peace कान्फरेन्स रखा है) इसलिए, जहर = इस्लाम}}}}
अग्निवीर ने अपने लेख में असल बात से हटकर इधर उधर की बेमतलब की बातें ज्यादा की हैं और उसके दिमाग में इस्लाम और मुहम्मद के बारे में तरह तरह गलत गलतफहमियाँ हैं जो जगह जगह उसके लेख मे नज़र आती है।
इस बारे में कुछ लोग भोले भाले हिन्दुओं को सीधे रास्ते पर आने से रोकने के लिए तरह तरह की गलतफहमियाँ फैला रहे हैं। उनके दवा्रा फैलाई जा रही गलतफहमियोँ के जवाब नीचे दिए जा रहे हैं
मुहम्मद सल्ल0 और वेद
अल्लाह अत्यंत कृपाशील और दयावान है।अल्लाह के सभी उदार अनुग्रहों और उसकी अनुकंपाओं की गणना करनी कठिन है, जो उसने इनसानों पर की है। उसकी इनसानों पर विशेष कृपा यह रही कि उनके मार्गदर्शक का प्रबंध किया और उन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए अपने पैग़म्बरों, रसूलों और अवतारों को प्रत्येक क़ौम और समुदाय में भेजा। क़ुरआन में हैः ‘‘कोई क़ौम ऐसी नहीं गुजरी, जिसमें कोई सचेत करने वाला न आया हो।’’ (35: 24) और हर क़ौम के लिए एक मार्गदर्शक हुआ है (13:7)
‘‘अवतार’’ का अर्थ यह कदापि सही नहीं है कि ईश्वर स्वयं धरती पर सशरीर आता है, बल्कि सच्चाई यह है कि वह अपने पैग़म्बर और अवतार भेजता है। उसने इनसानों के उद्धार, कल्याण और मार्गदर्शन के लिए अपने अवतार पैग़म्बर और रसूल भेजे। यह सिलसिला हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर समाप्त कर दिया गया। स्वामी विवेकानन्द और गुरुनानक सरीखे महानुभावों ने भी पैग़म्बरी और ईशदूतत्व की धारणा का समर्थन किया है। वरिष्ठ विद्वानों में पं. सुन्दर लाल, श्री बलराम सिंह परिहार, डा. वेद प्रकाश उपाध्याय, डा. पी.एच. चैबे, डा. रमेश प्रसाद गर्ग, पं. दुर्गा शंकर सत्यार्थी आदि ने ‘‘अवतार’’ का अर्थ ईश्वर द्वारा मानव-कल्याण के लिए अपने पैग़म्बर और दूत भेजा जाना बताया है। प्राणनाथी सम्प्रदाय के प्रसिद्ध चिंतक श्री कश्मीरी लाल भगत ने भी इस तथ्य का स्पष्ट समर्थन किया है।
पैग़म्बरों और अवतारों के भेजे जाने का विशिष्ट औचित्य होता है। लोगों में अधर्म की प्रवृत्ति पैदा हो जाने, धर्म के वास्तविक स्वरूप से हट जाने और मूल धर्म में मिलावट हो जाने के कारण पैग़म्बर एवं अवतार भेजे गए, जिन्होंने धर्म को फिर से मौलिक रूप में पेश किया और एक ईश्वर की ओर लोगों को बुलाया।
वेदों में नराशंस या मुहम्मद के आने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, बल्कि धार्मिक ग्रन्थों में ईशदूतों (पैग़म्बरों) के आगमन की पूर्व सूचना मिलती रही है। कुरान 3:81 के मुताबिक हर नबी और रसूल की यह जिम्मेदारी होती है कि वो अपने बाद आने वाले पैग़म्बर की निशानियाँ बताये ताकि लोग उसे पहचान सके। मिसाल के तौर कुरान में है कि हजरत ईसा ने अपने मानने वालों से कहा कुरान 61:6 (और याद करो जबकि मरयम के बेटे ईसा ने कहा, "ऐ इसराईल की संतान! मैं तुम्हारी ओर भेजा हुआ अल्लाह का रसूल हूँ। मैं तौरात की (उस भविष्यवाणी की) पुष्टि करता हूँ जो मुझसे पहले से विद्यमान है और एक रसूल की शुभ सूचना देता हूँ जो मेरे बाद आएगा, उसका नाम अहमद होगा।")
वेदों मे मुहम्मद सल्ल0 का वर्णन और भविषयवाणियां होना कोई अनोखी बात नही है है क्योंकि कुरान में लिखा है सुरह आराफ 7 आयत 157 में जो उस रसूल, उम्मी नबी का अनुसरण करते है, जिसे वे अपनी किताबों में लिखा पाते है। और जो उन्हें भलाई का हुक्म देता और बुराई से रोकता है। उनके लिए अच्छी-स्वच्छ चीज़ों का हलाल और बुरी-अस्वच्छ चीज़ों का हराम ठहराता है और उनपर से उनके वह बोझ उतारता है, जो अब तक उनपर लदे हुए थे और उन बन्धनों को खोलता है, जिनमें वे जकड़े हुए थे। अतः जो लोग उसपर ईमान लाए, उसका सम्मान किया और उसकी सहायता की और उस प्रकाश के अनुगत हुए, जो उसके साथ अवतरित हुआ है, वही सफलता प्राप्त करनेवाले है।
इस बारे में कुछ किताबें जो हकपसन्द हिन्दू विद्वानो ने लिखी है वो नीचे दी जा रही है।जो आनलाइन पढ़ी जा सकती है।
http://antimrishi.blogspot.in/p/blog-page_12.html
अगर आप के मन मे कोई सवाल हो तो यहाँ ईमेल करे asifmalik2015@gmail.com
अवतार’’ का अर्थ यह कदापि सही नहीं है कि ईश्वर स्वयं धरती पर सशरीर आता है, बल्कि सच्चाई यह है कि वह अपने पैग़म्बर और अवतार भेजता है।
ReplyDeleteइसको किस आधार पर लिखा आपने, या अपने मन से ही लिख दिया
Tum log awwal darje ke jahil ho. Allah ne har qaum me nabi bheje, lekin sabko kitab nahi di. Jin kitabo se tum Nabi ki peshengoi sabit karna chah rahe wo, wo kufr aur shirk se bhari padi hai. Aur jo translation lete ho wo bhi kisi vaidic acharya ya dharm shastri ka nahi hai. Sara matter Pt. Ved Prakash Upadhyay se copy pasted hai, jinko khud sanskirt thik se nahi ati. Un vidwano ka anuwad lo jinko Hindu dharm sweekar karta hai to pata chalega ki tum log khud gumrahi me ho aur dusro ko gumrah samajhte ho.
ReplyDelete